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लेखक:

विजयमोहन सिंह

जन्म :- 1 जनवरी 1936, शाहाबाद (बिहार)।

शिक्षा :- एम.ए., पी-एच.डी।

कार्यक्षेत्र :- कार्यक्षेत्र की दृष्टि से 1960 से 1969 तक आरा (बिहार) के डिग्री कॉलेज में अध्यापन। अप्रैल 1973 से 1975 तक दिल्ली विश्वविद्यालय के रामलाल आनन्द महाविद्यालय में अध्यापन। अप्रैल, 1975 से 1982 तक हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में सहायक प्रोफ़ेसर। 1983 से 1990 तक भारत भवन, भोपाल में ‘वागर्थ’ का संचालन। 1991 से 1994 तक हिन्दी अकादमी, दिल्ली के सचिव।

1964 से 1968 तक पटना से प्रकाशित होनेवाली पत्रिका ‘नई धारा’का सम्पादन। नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित यूनेस्को कूरियर के कुछ महत्त्वपूर्ण अंकों तथा एन.सी.ई.आर.टी. के लिए राजा राममोहन राय की जीवनी का हिन्दी अनुवाद।

कृतियाँ :-

उपन्यास :- कोई वीरानी-सी वीरानी है।

कहानी-संग्रह :- ग़मे हस्ती का हो किससे..., शेरपुर 15 मील, एक बँगला बने न्यारा।

आलोचना :- बीसवीं शताब्दी का हिन्दी साहित्य, कथा समय, आज की कहानी।

60 के बाद की कहानियाँ

विजयमोहन सिंह

मूल्य: Rs. 695

सन् 1965 के सितम्बर महीने में जब यह संकलन पहली बार छपकर आया, तब तक इसमें सम्मिलित 14 कहानीकारों में से किसी का भी कोई कहानी-संग्रह प्रकाशित नहीं हुआ था। सबकी 3-4-5 कहानियाँ इधर-उधर पत्र-पत्रिकाओं में छपी थीं।

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आज की कहानी

विजयमोहन सिंह

मूल्य: Rs. 200

प्रामाणिकता, प्रासंगिकता, भोगा हुआ यथार्थ, रूमानीपन, फ़ैंटेसी और रूपक जैसे तमाम शब्द रोज़मर्रा आलोचना में निरर्थक ढंग से फेंके जाते रहे हैं। पर हिन्दी के कथा-साहित्य और उससे जुड़े हमारे देश-काल के व्यापक बुनियादी सवालों से मुठभेड़ होने पर वे यहाँ कुछ और ही रंग-रूप में सामने आते हैं।

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आधुनिक हिन्दी गद्य साहित्य का विकास और विश्लेषण

विजयमोहन सिंह

मूल्य: Rs. 750

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कथा समय

विजयमोहन सिंह

मूल्य: Rs. 150

कथा समय अगर किसी रचना की कसौटी है, तो आलोचना की कसौटी भी वही है। कालबद्ध होकर ही ये दोनों कालजयी हो पाती हैं। लेकिन आलोचना-कर्म की एक कसौटी यह भी है कि अपने समय के रचना-कर्म को वह खुली आँखों से देखे और पूर्वग्रहमुक्त होकर उसकी पड़ताल करे।

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कोई वीरानी सी वीरानी है

विजयमोहन सिंह

मूल्य: Rs. 60

प्रतिभाएँ या तो कुंठित हो रही है या अपनी वहशत में क्रमिक हत्याओं तथा आत्महत्याओं की ओर उग्रसर।

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गमे हस्ती का हो किससे

विजयमोहन सिंह

मूल्य: Rs. 95

प्रस्तुत है श्रेष्ठ कहानी-संग्रह...   आगे...

चाय के प्याले में गेंद

विजयमोहन सिंह

मूल्य: Rs. 200

चाय के प्याले में गेंद

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बीसवीं शताब्दी का हिन्दी साहित्य

विजयमोहन सिंह

मूल्य: Rs. 295

प्रस्तुत ह बीसवीं शताब्दी का हिन्दी साहित्य....   आगे...

बीसवीं शताब्दी का हिन्दी साहित्य (अजिल्द)

विजयमोहन सिंह

मूल्य: Rs. 95

लगभग ढाई सौ पृष्ठों के अपने सीमित आकार में, एक पूरी सदी के साहित्य की पड़ताल करने वाली यह एक ऐसी किताब है, जिसे एक सर्जक-आलोचक के सुदीर्घ अध्ययन तथा मनन का परिपाक कहा जा सकता है।

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भेद खोलेगी बात ही

विजयमोहन सिंह

मूल्य: Rs. 250

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